सोमवार को, पाकिस्तान के झंडों से घिरे हुए, दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज बिनांस के संस्थापक चांगपेंग झाओ ने पाकिस्तान की नई नियामक संस्था, पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल (PCC) के सलाहकार बनने की सहमति दी। सालों तक डिजिटल मुद्रा से डरने वाला पाकिस्तान अब इस क्षेत्र में नया रास्ता बना रहा है। मार्च 2024 में PCC की शुरुआत के बाद, इस्लामाबाद अब क्रिप्टो को अपनाने और इसे नियमों के दायरे में लाने की कोशिश कर रहा है, ताकि निवेशक और वित्तीय सिस्टम दोनों सुरक्षित रहें।
विश्लेषकों का कहना है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार इस नियुक्ति के जरिए दुनिया को बताना चाहती है कि पाकिस्तान क्रिप्टो के लिए खुला है, खासकर जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव हो रहे हैं। तो आइए, इस खबर को आसान हिंदी और आम अंग्रेजी शब्दों में समझते हैं।
पाकिस्तान का क्रिप्टो की ओर बढ़ता कदम
पाकिस्तान ने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। उस वक्त केंद्रीय बैंक ने वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टो से जुड़े किसी भी लेनदेन से मना कर दिया था। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। मार्च 2024 में पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल (PCC) की स्थापना हुई, जिसका मकसद क्रिप्टो और ब्लॉकचेन जैसी नई तकनीकों को अपनाना और इन्हें नियंत्रित करने के लिए नियम बनाना है।
अब चांगपेंग झाओ जैसे बड़े नाम को सलाहकार बनाकर सरकार ने साफ कर दिया है कि वह इस क्षेत्र में गंभीर है। वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने कहा, “हम दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि पाकिस्तान नवाचार के लिए तैयार है।” उन्होंने झाओ की नियुक्ति को एक “ऐतिहासिक पल” बताया और कहा कि इससे पाकिस्तान वेब3, डिजिटल फाइनेंस और ब्लॉकचेन के क्षेत्र में एक मजबूत देश बन सकता है।
चांगपेंग झाओ कौन हैं?
चांगपेंग झाओ, जिन्हें लोग CZ के नाम से जानते हैं, एक चीनी मूल के कनाडाई बिजनेसमैन हैं। उनकी निजी संपत्ति 60 अरब डॉलर से ज्यादा है। वह बिनांस के संस्थापक हैं, जो दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टो एक्सचेंज है। पिछले साल अमेरिका में मनी लॉन्ड्रिंग कानून तोड़ने के जुर्म में उन्हें चार महीने की जेल हुई थी, लेकिन क्रिप्टो की दुनिया में उनकी इज्जत कम नहीं हुई।
पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के मुताबिक, झाओ सरकार के साथ मिलकर एक “प्रतिस्पर्धी क्रिप्टो इकोसिस्टम” बनाने में मदद करेंगे। वह नियम बनाने, बुनियादी ढांचा तैयार करने, शिक्षा देने और क्रिप्टो को बढ़ावा देने में मार्गदर्शन देंगे। झाओ ने कहा, “पाकिस्तान में 24 करोड़ लोग हैं, जिनमें 60% से ज्यादा 30 साल से कम उम्र के हैं। यहाँ की संभावनाएँ बहुत बड़ी हैं।”
पाकिस्तान में क्रिप्टो का बदलता नजरिया
पाकिस्तान की सरकार ने हाल के दिनों में कई कदम उठाए हैं, जिससे पता चलता है कि वह क्रिप्टो को अपनी वित्तीय व्यवस्था का हिस्सा बनाना चाहती है। PCC के बनने के बाद, ब्रिटिश-पाकिस्तानी टेक उद्यमी बिलाल बिन साकिब को वित्त मंत्री का “मुख्य सलाहकार” बनाया गया। साकिब ने पिछले महीने कहा था, “पाकिस्तान में 1.5 से 2 करोड़ लोग पहले से ही क्रिप्टो का इस्तेमाल करते हैं। यहाँ अरबों डॉलर के क्रिप्टो लेनदेन होते हैं। हम इसे कानूनी बनाना चाहते हैं ताकि निवेश आए और ये सिस्टम मजबूत हो।”
Similarweb के डेटा के मुताबिक, बिनांस ऐप पाकिस्तान में चौथी सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाली फाइनेंशियल ऐप है। यानी लोग पहले से ही क्रिप्टो में रुचि ले रहे हैं।
अमेरिका का असर
कई जानकार मानते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की क्रिप्टो को समर्थन देने वाली नीतियों का भी प्रभाव है। ट्रंप अपने पहले कार्यकाल में क्रिप्टो के खिलाफ थे, लेकिन अब उनका नजरिया बदल गया है। जनवरी में सत्ता संभालने के बाद, उन्होंने एक आदेश जारी किया, जिसके तहत एक खास ग्रुप बनाया गया जो क्रिप्टो के लिए नए कानून सुझाएगा। पिछले महीने, ट्रंप ने बिटकॉइन सहित पाँच क्रिप्टोकरेंसी को अमेरिका के रणनीतिक क्रिप्टो रिजर्व में शामिल करने का ऐलान किया।
साकिब ने भी कहा, “ट्रंप क्रिप्टो को देश की प्राथमिकता बना रहे हैं। पाकिस्तान सहित हर देश को इस दिशा में कदम उठाना होगा।”
पाकिस्तान को क्रिप्टो की जरूरत है?
हाँ बोलने वाले:
अली फरीद ख्वाजा, जो KTrade Securities के अध्यक्ष हैं, कहते हैं कि क्रिप्टो जैसे डिजिटल सिस्टम वित्तीय लेनदेन को बेहतर बनाते हैं। उनका कहना है, “पाकिस्तान में करीब 2 करोड़ लोग विदेशी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करते हैं। सरकार को इनसे कोई टैक्स नहीं मिलता क्योंकि ये प्लेटफॉर्म यहाँ रजिस्टर्ड नहीं हैं। क्रिप्टो को नियमों में लाना जरूरी है।”
वह मानते हैं कि इसे नजरअंदाज करना अब मुमकिन नहीं है। “ये इतना बड़ा हो गया है कि इसे रोकना बेवकूफी होगी। PCC बनाना सही कदम है,” ख्वाजा ने कहा।
नहीं बोलने वाले:
कनाडा में रहने वाले फाइनेंस एक्सपर्ट इब्राहिम खलील का नजरिया अलग है। उनका कहना है, “पाकिस्तान को क्रिप्टो की जरूरत उतनी ही है जितनी मछली को साइकिल की। सरकार ये नहीं बता रही कि क्रिप्टो कौन सी समस्या हल करेगा। दुनिया में ब्लॉकचेन अपनी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। बिटकॉइन के अलावा कोई बड़ी सफलता नहीं दिखती।”
क्रिप्टो और ब्लॉकचेन क्या है?
- क्रिप्टोकरेंसी: ये डिजिटल पैसा है, जो सिक्योरिटी के लिए एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करता है। मिसाल के तौर पर बिटकॉइन।
- ब्लॉकचेन: ये एक डिजिटल बहीखाता है, जो कई कंप्यूटरों पर लेनदेन रिकॉर्ड करता है। इसमें बैंक या सरकार की जरूरत नहीं पड़ती।
- विकेंद्रीकृत (Decentralized): इसका मतलब है कि इसे कोई एक संस्था कंट्रोल नहीं करती।
बिटकॉइन को 2007-08 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद सतोशी नाकामोटो नाम के एक अनजान शख्स ने बनाया था। तब से ये तकनीक दुनिया भर में फैल गई।