अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एक बड़ा टैरिफ प्लान पेश किया है, जिसका असर दुनिया भर के व्यापार पर पड़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र (UN) के एक शीर्ष अर्थशास्त्री ने चेतावनी दी है कि इससे वैश्विक व्यापार में 3% की कमी आ सकती है और निर्यात के पैटर्न में भी बदलाव हो सकता है। मैं 27 साल का एक रिपोर्टर हूँ, कटिहार, बिहार से, और आपके लिए इस खबर को आसान और साफ़ हिंदी में लेकर आया हूँ ताकि हर कोई इसे समझ सके।
वैश्विक व्यापार पर असर
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र (ITC) की कार्यकारी निदेशक पामेला कोक-हैमिल्टन ने जिनेवा में कहा, “वैश्विक व्यापार में 3% की कमी आ सकती है, और व्यापार के पैटर्न तथा आर्थिक एकीकरण में लंबे समय तक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।” इसका मतलब है कि अमेरिका के टैरिफ की वजह से दुनिया भर में चीजों का आयात-निर्यात कम हो सकता है। उन्होंने बताया कि निर्यात अमेरिका और चीन जैसे बड़े बाजारों से हटकर भारत, कनाडा और ब्राजील जैसे देशों की ओर बढ़ सकता है। यानी कुछ देशों को नुकसान होगा, तो कुछ को फायदा भी हो सकता है।
किन देशों पर क्या असर होगा?
इस टैरिफ से कई देशों के व्यापार पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है। आइए इसे कुछ उदाहरणों से समझते हैं:
- मेक्सिको: मेक्सिको के निर्यात सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अब उसका माल अमेरिका, चीन, यूरोप और लैटिन अमेरिकी देशों की बजाय कनाडा और ब्राजील की ओर जा रहा है। भारत को भी थोड़ा फायदा मिल सकता है।
- वियतनाम: वियतनाम का निर्यात भी अमेरिका, मेक्सिको और चीन से हटकर मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (MENA), यूरोपीय संघ (EU), कोरिया जैसे बाजारों की ओर बढ़ रहा है।
- बांग्लादेश: बांग्लादेश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक देश है। अगर अमेरिका 37% टैरिफ लगाता है, तो 2029 तक बांग्लादेश के अमेरिका को होने वाले निर्यात में 3.3 अरब डॉलर (लगभग 27,000 करोड़ रुपये) की कमी आ सकती है। यह उसके लिए बड़ा झटका होगा।
चीन की जवाबी कार्रवाई
अमेरिका ने चीन से आने वाले सामान पर भारी टैरिफ लगाया, तो चीन ने भी पलटवार किया। चीन ने अमेरिकी आयात पर 125% का टैरिफ लगा दिया है। यानी अब अमेरिका से चीन और चीन से अमेरिका जाने वाला व्यापार लगभग बंद हो सकता है। एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ASPI) की उपाध्यक्ष वेंडी कटलर ने कहा, “चीन इस व्यापार युद्ध में लंबे समय तक डटा रहेगा। उसने माना है कि वह टैरिफ के जवाब में और कदम नहीं उठाएगा, लेकिन उसके पास दूसरे रास्ते भी हैं।”
विकासशील देशों के लिए रास्ता
पामेला कोक-हैमिल्टन ने कहा कि विकासशील देशों के लिए इस संकट से बचने के तीन बड़े तरीके हैं:
- विविधीकरण: अपने व्यापार को एक देश पर निर्भर न रखें, बल्कि कई देशों के साथ कारोबार बढ़ाएं।
- मूल्य संवर्धन: अपने उत्पादों को बेहतर बनाएं ताकि उनकी कीमत और मांग बढ़े।
- क्षेत्रीय एकीकरण: अपने आसपास के देशों के साथ मिलकर काम करें।
उन्होंने कहा, “इन तरीकों से न सिर्फ मौजूदा मुश्किलों से बचा जा सकता है, बल्कि भविष्य के लिए भी तैयारी हो सकती है।”
फ्रांस के अर्थशास्त्र अनुसंधान संस्थान CEPII के साथ मिलकर किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, 2040 तक इन टैरिफ और जवाबी कार्रवाइयों से वैश्विक GDP में 0.7% की कमी आ सकती है। यानी पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में मेक्सिको, चीन, थाईलैंड और दक्षिणी अफ्रीका के देश शामिल हैं। अमेरिका को भी इससे बचना मुश्किल होगा।
चीन की लंबी रणनीति
ASPI के उपाध्यक्ष डैनियल रसेल ने कहा, “चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पीछे नहीं हट रहे, लेकिन वह स्थिति को और खराब भी नहीं कर रहे। उनका मानना है कि ट्रम्प का टैरिफ वाला गुस्सा अमेरिकी बाजार की प्रतिक्रिया से खुद ही खत्म हो जाएगा।” चीन अब टैरिफ के खेल से हटकर लंबे समय की रणनीति पर काम कर रहा है। वह अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, कूटनीतिक रसूख बढ़ाना और अमेरिका के सहयोगी देशों पर दबाव डालना चाहता है। शी जिनपिंग का हालिया दक्षिण-पूर्व एशिया दौरा इसी रणनीति का हिस्सा है।
निष्कर्ष
यह व्यापार युद्ध लंबे समय तक चल सकता है और दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर सकता है। लेकिन उम्मीद है कि वाशिंगटन और बीजिंग जल्द ही बातचीत शुरू करेंगे और हालात को संभालने की कोशिश करेंगे। इस बीच, भारत जैसे देशों को निर्यात बढ़ाने का मौका मिल सकता है, जो हमारे लिए एक अच्छी खबर है।
यह खबर आपके लिए आसान भाषा में लिखी गई है ताकि हर कोई इसे समझ सके। अगर कोई सवाल हो, तो कमेंट में जरूर पूछें!